व्याधिक्षमत्व बढ़ाने के 35 उपाय

आधुनिक वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार इम्यूनिटी मूलतः दो प्रकार से समझी जा सकती है: इनेट (जन्मजात) और एडाप्टिव (अनुकूलनीय)। इनेट-इम्यूनिटी प्रतिरक्षा की पहली पंक्ति है जो पैथोजेन को मारने वाली कोशिकाओं जैसे न्यूट्रोफिल और मैक्रोफेज द्वारा संपादित की जाती है। किसी विषाणु का संक्रमण होने पर ये किलर-सेल्स तेज गति से सबसे पहले अपना काम…

सुनो अग्निवेश, नियत समय पर मात्रापूर्वक हितकारी भोजन आरोग्य देने में सर्वश्रेष्ठ है!

उत्तर भारत के घने और मनोहारी वनों के मध्य प्रकृति की गोद में अत्यंत महत्वपूर्ण शिक्षण सत्र था| इसे कम से कम 8000 से 9000 साल पहले आत्रेय पुनर्वसु ने अपने छः दिग्गज विद्यार्थियों के लिये आयोजित किया था| विश्व में आज तक ज्ञात किसी भी चिकित्सा पद्धति में आयोजित किया गया यह सबसे पहला…

संहिताओं, शोध और अनुभव का निचोड़ यह है कि घी नित्य सेवनीय रसायन है, बशर्ते व्यायाम भी कीजिये

भोजन में प्रतिदिन घी खाना चाहिये या नहीं? इस प्रश्न का उत्तर इस बात पर निर्भर करता है कि आप किससे पूछ रहे हैं| लम्बे समय तक कहा गया कि वसा का अधिक सेवन मोटापे, मधुमेह, हृदय रोग, और संभवतः कैंसर का कारण बनता है। हाल ही में परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट के प्रतिकूल चयापचयी प्रभावों के…

कहते हैं कि जब अग्निवेश तन्त्र में समाहित यथार्थ ज्ञान की धारा बही थी तब पञ्चमहाभूत नाच उठे थे

☘️💦🌹 घने और मनोहारी वनों के मध्य प्रकृति की गोद में गंभीर विचार-विमर्श हुआ। विचार-विमर्श तो क्या, असल में यह बड़ा लम्बा शिक्षण सत्र था| यह एक जरूरी सत्र था| जानकारी तो बहुत से वैज्ञानिकों के पास तब तक पहुँच चुकी थी परन्तु उनमें से एक वैज्ञानिक ने तय किया कि ज्ञान को अनेक विद्वानों…

आयुर्वेद को अवैज्ञानिक कहना व्यक्तिगत अज्ञान की पराकाष्ठा है

पिछले कुछ दिनों से आयुर्वेद और आयुर्वेदाचार्यों के सन्दर्भ में बड़ी अतार्किक, अविवेकपूर्ण और प्रमाण-विहीन टिप्पणियाँ प्रेस और सोशल मीडिया में पढ़ने को मिलीं हैं। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि ऐसी टिप्पणियाँ उन व्यक्तियों द्वारा की जा रही हैं जिनके लिये इस देश के नागरिकों और करदाताओं ने बायो-मेडिकल चिकित्सकीय पढ़ाई-लिखाई और दक्षता विकास में…

आयुर्वेद में समकालीन वैज्ञानिक शोध पूर्वाग्रही-पिष्टपेषण के कारण अनुपयोगी और निरर्थक है

आयुर्वेद में अनुसंधान बड़ी विचित्र स्थिति में है। जो लोग आयुर्वेद को अच्छी तरह समझते हैं उनके मन में भी यह संदेह बना रहता है कि क्या समकालीन वैज्ञानिक मूल्यांकन में आयुर्वेद उतना ही तर्कसंगत, प्रभावशाली और सुरक्षित सिद्ध होगा जितना कि आयुर्वेद की संहिताओं में वर्णित है। यह चिंता कितनी जायज या नाजायज है…

चरकसंहिता में हितकारी भोजन की 3000 साल पुरानी सूची शोध में भी यथावत उपयोगी पायी गयी है

सोशल मीडिया में स्वयंभू विशेषज्ञों का बहुत बड़ा जमावड़ा लगा रहता है। आयुर्वेद भी इससे अछूता नहीं है। इन्टरनेट में आयुर्वेद के एक्सपर्ट्स और उनके नुस्खों का बोलबालाहै। जन-सामान्य भी इन्टरनेट में खोजबीन कर इसी ज्ञान से अपना काम चलाने की कोशिश करते हैं। पर यह एक प्रमाणित तथ्य है कि सोशल मीडिया एक ऐसा…

आयुर्वेदिक आहार के कुछ सहज सूत्र

आज का प्रश्न यह है कि दैनिक भोजन के सन्दर्भ में कुछ सहज बातें क्या हैं जिनका ध्यान रखा जाना चाहिये? इस प्रश्न का उत्तर देने के पहले यह बताना आवश्यक है कि आयुर्वेद में आहार का विज्ञान बहुत विशाल है| अतः यहाँ पर एक ऐसी प्रारंभिक दृष्टि ही दी गयी है जिसका हम प्रतिदिन…

आयुर्वेद के सात रक्षा-कवचों का सिद्धांत: प्रस्तावित पुस्तक की एक रूप रेखा

1 आज लोग समय से पहले ही बूढ़े हो रहे हैं। कारण हमारी जीवन शैली में स्पष्ट है! हम सात में से उन छह किलेबंदियों या दीवारों को तोड़ रहे हैं जो हमारे स्वास्थ्य और रुग्णता के बीच मौजूद हैं। ये सात दीवारें आहार, विहार या जीवनशैली, स्वस्थवृत्त या व्यक्तिगत स्वास्थ्य से जुड़े आचरण, सद्वृत्त…

आयुर्वेद की उपेक्षा ने भारत में बीमारी का ऐसा दुधारू बाज़ार दिया जहाँ सर्वरोगघ्नी त्रिफला रसायन कब्ज का चूरन मात्र रह गया

भारत में 200 साल पहले बायो-मेडिसिन आने के पूर्व, लगभग 5000 साल तक, आयुर्वेद ही प्रमुख चिकित्सा पद्धति रही है। तब न केवल बीमार व्यक्तियों का उपचार किया जाता है, अपितु स्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ रखने की विस्तृत और लोकप्रिय विधा प्रचलन और प्राथमिकता में रही है। आज भी लगभग 70 प्रतिशत भारतीय कभी न…

औषधियों के चमत्कारी प्रभाव का दुष्प्रचार आयुर्वेद की प्रमाण-आधारित विश्वसनीयता का सबसे बड़ा दुश्मन है

आयुर्वेद चमत्कार नहीं अपितु आहार, विहार, रसायन, और औषधियों का का सम्पूर्ण जीवनोपयोगी विज्ञान है। आजकल सोशल मीडिया और विज्ञापनों में आयुर्वेद के ऐसे नुस्खों का डंका बज रहा है जो रामबाण, चमत्कारी, शर्तिया, अचूक, गुप्त इलाज़ आदि नाम से बिक रहे हैं। साथ में प्रलोभन यह भी रहता है कि लाभ न मिले तो…

आयुर्वेद केवल घनवटी खाने या जूस पीने का विज्ञान नहीं, चिकित्सकीय परामर्श ही इसे सुरक्षित व लाभकारी बनाता है

सेल्फ-मेडिकेशन एक वैश्विक समस्या है। लेकिन सबसे अधिक आश्चर्य मुझे तब हुआ जब दो वर्षपहले मेरा नाती यजुर्विद, जो तब बोलना सीख ही रहा था, बीमार हुआ। उसका कहना था कि डॉक्टर के पास नहीं जायेगा, ‘आपी-आपी’ दवाई खायेगा। बात जब आयुर्वेदिक औषधियों की हो तो हर आदमी आज यजुर्विद के ‘आपी-आपी’ सिद्धांत पर चल…